Thursday, March 29, 2012

50 हजार भक्तों ने किए दर्शन

भादवा माता के दरबार में चैत्र नवरात्रि के पहले रविवार को भक्तों का सैलाब उमड़ा। सुबह आरती के बाद दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ जो रात शयन आरती तक चला। मंदिर प्रशासन के अनुसार 50 हजार से ज्यादा भक्तों ने दर्शन किए।
मंदिर में सुबह 4 बजे पुजारियों द्वारा विधि-विधान से पूजन किया गया और दर्शनों का सिलसिला शुरू हुआ। देररात तक भक्तों का आंकड़ा 50 हजार पार हो गया। प्रशासन ने टेंट व पानी की व्यवस्था जगह-जगह की थी। मेला अधिकारी राजेश यादव ने 60 से अधिक पुलिसकर्मियों के साथ सुचारु व्यवस्था संभाली। नीमच, मंदसौर, रतलाम, जावरा, राजस्थान, महाराष्ट्र से आए भक्तों ने भी दर्शन किए।
२ घंटे इंतजार-भक्तों को दर्शन के लिए 1.30 से 2 घंटे इंतजार करना पड़ा। बैरिकेड्स में धूप से बचने के लिए टेंट व पानी की व्यवस्था प्रशासन ने की थी।
हजारों लोग ले रहे लाभ-भादवा माता ट्रस्ट ने भक्तों के लिए अन्नक्षेत्र शुरू किया है। यहां पर भक्तों को 10 रुपए में 300 ग्राम पूड़ी-सब्जी व मिष्ठान दिया जाता है। संचालक यशवंत जैन ने बताया हजारों भक्त रोज लाभ ले रहे हैं।
नि:शक्तों का नहीं ध्यान
प्रशासन ने नि:शक्तजन के लिए अलग से व्यवस्था नहीं की। नि:शक्तों व परिजन को परेशानियां हुईं। जो नि:शक्त व्हीलचेयर पर थे, उन्हें तो दर्शन भी नहीं हुए।
उचित रही व्यवस्था
॥मंदिर परिसर में सुबह प्रवेश और निर्गम एक ही द्वार से था लेकिन भीड़ बढऩे पर बदलाव किया। जो नि:शक्तजन हमारे पास आए उन्हें सीधे दर्शन करवाए। इतनी भीड़ के बाद भी सभी व्यवस्थाएं उचित रही।ø
राजेश यादव, मेला अधिकारी
दो दिन में बिके 100 से अधिक सिक्के
भादवा माता के 50 व 10 ग्राम के सिक्के मंदिर परिसर में उपलब्ध हैं। व्यवस्था प्रबंधक विश्वनाथ गेहलोत ने बताया दो दिन में 10 ग्राम वाले 100 से अधिक सिक्के बिक गए हैं।
ञ्चजूते-चप्पलें के लिए लंबा चक्कर-भक्तों के प्रवेश के लिए पानी की टंकी परिसर से बैरिकेड्स लगाए गए तथा उनका निर्गम सोदिया धर्मशाला के पास रखा। दर्शन के बाद भक्तों को जूते-चप्पल लेने के लिए धूप में नंगे पांव 1 किमी तक चलना पड़ा। इससे परेशान कई भक्तों ने जूते-चप्पल ही छोड़ दिए।

Wednesday, December 15, 2010

हर रोग का इलाज है यहां

Denik bhaskar :- धर्म डेस्क. उज्जैन

धर्म और आस्था का कोई अंत नहीं है। ईश्वर वायु मण्डल के कण-कण में विद्यमान है। ऐसा ही एक प्रत्यक्ष उदाहरण है नीमच जिले के पास स्थित मां भादवा। जहां लाखों भक्त मां के दरबार में अपनी अर्जी लगाते हैं। कहते हैं यहां मां भादवा अपने भक्तों को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति देती है। अपने भक्त के हर दु:ख को समेट लेती है।
इस मंदिर के पास ही एक कुण्ड है जिसे देवी मां का विशेष आशीर्वाद प्राप्त है इस कुण्ड में स्नान करने से सभी रोग दूर हो जाते हैं। विशेष रुप से लकवा पीडि़त रोगियों के लिए यह देवी स्थान वरदान है। यहां मंदिर के अदंर एक चमत्कारिक ज्योत भी है जो करीब 800 सालों से निरंतर जल रही है।

कथा:800 साल पहले रूपा नाम के एक भील को देवी ने सपने में दर्शन देकर कहा कि गांव से कुछ दूर जंगल में उनकी मूर्ति दबी हुई है उसे बाहर निकाल कर स्थापित करो ताकि वे यहां मानव जाति के कष्टों को मिटा सकें। भील ने मां की आज्ञा पाकर वहां खुदाई शुरू कर दी और जमीन के अन्दर से देवी मां की मूर्ति को निकाल कर स्थापित किया। जिन्हें आज सभी भादवा मां के रूप में पूजते हैं।

विशेष: खुदाई के समय यहां मूर्ति के साथ जलती हुई चमत्कारिक ज्योत निकली और साथ ही एक पानी का कुण्ड निकला इस कुण्ड की विशेषता है कि इस कुण्ड में नहाने से सभी प्रकार की बीमारियां दूर भाग जाती हैं। यहां चैत्र और अश्विन माह की नवरात्रि में मेला लगता है। यहां मां भादवा को दाल-बाटी का विशेष भोग लगाया जाता है।
कैसे पहुचें: मध्यप्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर का हवाई अड्डा देश के सभी भागों से जुड़ा है। यहां से आपको भादवा माता के लिए बस मिल जाएगी। ट्रेन से जाने के लिए पश्चिम रेलवे के रतलाम से मंदसौर और नीमच के लिए ट्रेन मिलती है और यहां से आपको भादवा माता के लिए बस मिल जाएगी।

Thursday, July 29, 2010

भादवा रानी अमृत वाणी

भादवारानी अमृत वाणी


https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhDDAx_Yv6Q-EQWWL5RRguqWP2aAdU01qDl_jfMzDnesEcruQ9iCnKPRpbUzwelMVLOxOYvTwQsxoFtg_GqN4dzLtR8KVEUCZecolBABZzWLlugXtxX-N8sLn8438gbAWmQHR7hYFzhVdUA/s576/img013.jpg

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixXXQ1skKjivzEeUS4Yge2f0Sw8VsNIoMCqHt_dTsYtbjNEULTT9WNSTLP4Hq53cB2fbUpKvc19ARM0r8qWFP9I87K9i-czwJuWV8qH3l34M8N17wXJyeLigYKl_V94HJ7BhXQ10O0xKit/s576/img015.jpg

।youtube.com/v/E2Kexyf9cyI&hl=en_US&fs=1?rel=0">


Tuesday, June 15, 2010

जहाँ माता चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं

माँ अर्थात शक्ति का स्वरूप, जो अपने अलग-अलग रूपों में प्रकट होकर भक्तों के दुख दूर करती है फिर चाहे वह त्रिकुट पर्वत पर विराजीत माँ वैष्णवी हो, पावागढ़ वाली माता हो या फिर महामाया भादवा माता ही क्यों न हो। माता का हर रूप चमत्कारी व मनोहारी है, जिसके दर्शन मात्र से ही मन प्रसन्न हो जाता है तथा माता की भक्ति में रम जाता है।

हमारे देश में कई प्रमुख धार्मिक स्थल हैं, जहाँ माता चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं। माता की एक ऐसी ही चमत्कारी मूर्ति है ‘भादवा माता धाम’ में। मध्यप्रदेश के नीमच से लगभग 18 किमी की दूरी पर स्थि‍त माँ भादवा का मंदिर एक विश्वविख्यात धार्मिक स्थल है। जहाँ दूर-दूर से लकवा, नेत्रहीनता, कोढ़ आदि रोगों से ग्रसित रोगी आते हैं व निरोगी होकर जाते हैं।

माँ भादवा की मोहक प्रतिमा :-
भादवा माता के मंदिर में सुंदर चाँदी के सिंहासन पर विराजित हैं माँ की चमत्कारी मूर्ति। इस मूर्ति के नीचे माँ नवदुर्गा के नौ रूप विराजित हैं। कहते हैं मूर्ति भी चमत्कारी है व उससे ज्यादा चमत्कारी वो ज्योत है, जो कई सालों से अखंडित रूप से जलती जा रही है। यह ज्योत कभी नहीं बुझी और माँ के चमत्कार भी कभी नहीं रूके। आज भी यह ज्योत माँ की प्रतिमा के समीप ही प्रज्ज्वलित हो रही है।

यहाँ होते हैं चमत्कार :-
माता के इस मंदिर में आपको साक्षात चमत्कार देखने को मिलेंगे। देश के अलग-अलग इलाकों से यहाँ लकवाग्रस्त व नेत्रहीन रोगी आते हैं, जो माँ के मंदिर के सामने ही ‍रात्रि विश्राम करते हैं। बारह महीने यहाँ भक्तों का जमावड़ा रहता है। मंदिर परिसर में आपको इधर-उधर डेरा डाले कई लकवा रोगी देखने को मिल जाएँगे, जो निरोगी होने की उम्मीद से कई मीलों का सफर तय करके भादवा धाम आए हैं।
कहा जाता है कि रोज रात को माता मंदिर में फेरा लगाती हैं तथा अपने भक्तों को आशीष देकर उन्हें निरोगी करती हैं। कई लोग यहाँ आए तो दूसरों के कंधों के सहारे परंतु गए बिना किसी सहारे के अपने पैरों पर।
जब से मंदिर है तब से यहाँ प्राचीन बावड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि माता ने अपने भक्तों को निरोगी बनाने के लिए जमीन से यह जल निकाला था और कहा था कि मेरी इस बावड़ी के जल से जो भी स्नान करेगा, वह व्यक्ति रोगमुक्त हो जाएगा। मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी का जल अमृत तुल्य है। माता की इस बावड़ी के चमत्कारी जल से स्नान करने पर समस्त शारीरिक व्याधियाँ दूर होती हैं।



मुर्गे और बकरे करते है माँ का गुणगान :-
अपनी मुराद पूरी होने पर इस मंदिर में जिंदा मुर्गे व बकरे छोड़कर जाने का भी चलन है। इसके अलावा यहाँ चाँदी व सोने की आँख, हाथ आदि भी माता को चढ़ाए जाते हैं। यह सब निर्भर करता है आपकी ली गई मन्नत पर।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब भादवा माँ की आरती होती है तब ये मुर्गा, कुत्ता, बकरी आदि सभी जानवर तल्लीनता से माँ की आरती में शामिल होते हैं। आरती के समय आपको मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ में कई मुर्गे व बकरी घूमते हुए दिख जाएँगे।

नवरात्रि पर मचती है धूम :-
प्रतिवर्ष चैत्र और कार्तिक माह में नवरात्रि पर भादवा माता मंदिर परिक्षेत्र में विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें शामिल होने दूर-दूर से भक्त आते हैं। कुछ भक्त अपने पदवेश त्यागकर नंगे पैर माँ के दरबार में हा‍जिरी‍ लगाते हैं। नवरात्रि पर विशेष रूप से माँ भादवा के धाम तक की कई बसे चलती हैं।

माँ कभी अपने भक्तों में भेदभाव नहीं करती। इसका उदाहरण माँ भादवा का मंदिर है। यहाँ अमीर हो या गरीब, मानव हो या पशु सभी मंदिर परिसर में माँ की मूर्ति के समक्ष रात्रि विश्राम करते हैं तथा सच्चे मन से एक साथ माँ का गुणगान करते हैं। माँ भादवा हमेशा अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें तथा हमारे मन मंदिर में आस्था का केंद्र बनकर विराजित रहें। यही कामना है।

Tuesday, March 2, 2010

Friday, November 6, 2009

श्री महामाया भादवा माता

|| जय जोगमाया चला जाए दुःख सुखी रहे काया तेरी हे अपर माया


"लकवा की बीमारी " दूर करने वाली जगत कष्ट हरनी माँ

"Paralysis of the disease" to solve the world suffer Hrni मदर
| | Jai goes Jogmaya be happy Kaya hurt your O Additional Maya


Friday, August 14, 2009

आरती



जय जय भादवा माता , भादवा माता |
दूर दूर रा भगत जी , नाचता गाता ||
जय जय ..........................................

आवे आको मालवो आवे हे मेवाड़ |
महिमा अतरी बड़ी , पूगी मारवाड़ ||
जय जय ..........................................

आन्दा ने आंख्या मेले , लंगडा ने पगल्या |
बाझां ने बेटा मेले , बालका ने चटका ||
जय जय ..........................................

नावों - धोवो बावडी , उतरो भागता रेते |
भारी भारी लकवा , पल भर में मेटे ||
जय जय ..........................................

आवे आको मालवो आवे हे मेवाड़ |
महिमा अतरी बड़ी , पूगी मारवाड़ ||
जय जय ..........................................

आन्दा ने आंख्या मेले , लंगडा ने पगल्या |
बाझां ने बेटा मेले , बालका ने चटका ||
जय जय ..........................................

नारेल मिश्री माला , चूरमो बाटी दाल|
पाँच वास जो - जो करे , करे भादवा न्याल ||

जय जय ..........................................

वाणी री अरजी माँ , हुणों ध्यान लगाय |
तान- मन पूजे भादवा , वे हगारा फल पाय ||

जय जय ..........................................


कवि ' अमृत वाणी '