जय जय भादवा माता , ओ भादवा माता |
दूर दूर रा भगत जी , आ नाचता गाता ||
जय जय ..........................................
आवे आको मालवो आवे हे मेवाड़ |
महिमा अतरी बड़ी , पूगी मारवाड़ ||
जय जय ..........................................
आन्दा ने आंख्या मेले , लंगडा ने पगल्या |
बाझां ने बेटा मेले , बालका ने चटका ||
जय जय ..........................................
नावों - धोवो बावडी , उतरो भागता रेते |
भारी भारी लकवा , पल भर में मेटे ||
जय जय ..........................................
आवे आको मालवो आवे हे मेवाड़ |
महिमा अतरी बड़ी , पूगी मारवाड़ ||
जय जय ..........................................
आन्दा ने आंख्या मेले , लंगडा ने पगल्या |
बाझां ने बेटा मेले , बालका ने चटका ||
जय जय ..........................................
नारेल मिश्री माला , चूरमो बाटी दाल|
पाँच वास जो - जो करे , करे भादवा न्याल ||
जय जय ..........................................
वाणी री अरजी माँ , हुणों ध्यान लगाय |
तान- मन पूजे भादवा , वे हगारा फल पाय ||
जय जय ..........................................
कवि ' अमृत वाणी '
माँ अर्थात शक्ति का स्वरूप,
जो अपने अलग-
अलग रूपों में प्रकट होकर भक्तों के दुख दूर करती है फिर चाहे वह त्रिकुट पर्वत पर विराजीत माँ वैष्णवी हो,
पावागढ़ वाली माता हो या फिर महामाया भादवा माता ही क्यों न हो। माता का हर रूप चमत्कारी व मनोहारी है,
जिसके दर्शन मात्र से ही मन प्रसन्न हो जाता है तथा माता की भक्ति में रम जाता है। हमारे देश में कई प्रमुख धार्मिक स्थल हैं,
जहाँ माता चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं। माता की एक ऐसी ही चमत्कारी मूर्ति है '
भादवा माता धाम'
में। मध्यप्रदेश के नीमच से लगभग 18
किमी की दूरी पर स्थि
त माँ भादवा का मंदिर एक विश्वविख्यात धार्मिक स्थल है। जहाँ दूर-
दूर से लकवा,
नेत्रहीनता,
कोढ़ आदि रोगों से ग्रसित रोगी आते हैं व निरोगी होकर जाते हैं। Gayarti Sharma WD
माँ भादवा की मोहक प्रतिमा :-
भादवा माता के मंदिर में सुंदर चाँदी के सिंहासन पर विराजित हैं माँ की चमत्कारी मूर्ति। इस मूर्ति के नीचे माँ नवदुर्गा के नौ रूप विराजित हैं। कहते हैं मूर्ति भी चमत्कारी है व उससे ज्यादा चमत्कारी वो ज्योत है,
जो कई सालों से अखंडित रूप से जलती जा रही है। यह ज्योत कभी नहीं बुझी और माँ के चमत्कार भी कभी नहीं रूके। आज भी यह ज्योत माँ की प्रतिमा के समीप ही प्रज्ज्वलित हो रही है। यहाँ होते हैं चमत्कार :-
माता के इस मंदिर में आपको साक्षात चमत्कार देखने को मिलेंगे। देश के अलग-
अलग इलाकों से यहाँ लकवाग्रस्त व नेत्रहीन रोगी आते हैं,
जो माँ के मंदिर के सामने ही
रात्रि विश्राम करते हैं। बारह महीने यहाँ भक्तों का जमावड़ा रहता है। मंदिर परिसर में आपको इधर-
उधर डेरा डाले कई लकवा रोगी देखने को मिल जाएँगे,
जो निरोगी होने की उम्मीद से कई मीलों का सफर तय करके भादवा धाम आए हैं। कहा जाता है कि रोज रात को माता मंदिर में फेरा लगाती हैं तथा अपने भक्तों को आशीष देकर उन्हें निरोगी करती हैं। कई लोग यहाँ आए तो दूसरों के कंधों के सहारे परंतु गए बिना किसी सहारे के अपने पैरों पर। जब से मंदिर है तब से यहाँ प्राचीन बावड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि माता ने अपने भक्तों को निरोगी बनाने के लिए जमीन से यह जल निकाला था और कहा था कि मेरी इस बावड़ी के जल से जो भी स्नान करेगा,
वह व्यक्ति रोगमुक्त हो जाएगा। मंदिर परिसर में स्थित बावड़ी का जल अमृत तुल्य है। माता की इस बावड़ी के चमत्कारी जल से स्नान करने पर समस्त शारीरिक व्याधियाँ दूर होती हैं। Gayarti Sharma WD
मुर्गे और बकरे करते है माँ का गुणगान :-
अपनी मुराद पूरी होने पर इस मंदिर में जिंदा मुर्गे व बकरे छोड़कर जाने का भी चलन है। इसके अलावा यहाँ चाँदी व सोने की आँख,
हाथ आदि भी माता को चढ़ाए जाते हैं। यह सब निर्भर करता है आपकी ली गई मन्नत पर। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब भादवा माँ की आरती होती है तब ये मुर्गा,
कुत्ता,
बकरी आदि सभी जानवर तल्लीनता से माँ की आरती में शामिल होते हैं। आरती के समय आपको मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ में कई मुर्गे व बकरी घूमते हुए दिख जाएँगे। नवरात्रि पर मचती है धूम :-
प्रतिवर्ष चैत्र और कार्तिक माह में नवरात्रि पर भादवा माता मंदिर परिक्षेत्र में विशाल मेले का आयोजन होता है,
जिसमें शामिल होने दूर-
दूर से भक्त आते हैं। कुछ भक्त अपने पदवेश त्यागकर नंगे पैर माँ के दरबार में हा
जिरी
लगाते हैं। नवरात्रि पर विशेष रूप से माँ भादवा के धाम तक की कई बसे चलती हैं। माँ कभी अपने भक्तों में भेदभाव नहीं करती। इसका उदाहरण माँ भादवा का मंदिर है। यहाँ अमीर हो या गरीब,
मानव हो या पशु सभी मंदिर परिसर में माँ की मूर्ति के समक्ष रात्रि विश्राम करते हैं तथा सच्चे मन से एक साथ माँ का गुणगान करते हैं। माँ भादवा हमेशा अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें तथा हमारे मन मंदिर में आस्था का केंद्र बनकर विराजित रहें। यही कामना